मंगलवार, 16 सितंबर 2014

सम्बोधन के साथ मेरे प्रयोग - नरेंद्र मोदी

भाषण और संबोधन को अपने नाम से विस्थापित कर इनके पर्यायवाची बन चुके नरेंद्र मोदी जी ने अपने जन्मदिवस की पूर्व संध्या पर आज "अपने आप" को 3D तकनीक के माध्यम से सम्बोधित किया।  गौरतलब है कि  इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की जानकारी न तो अख़बारों में विज्ञापन के द्वारा दी गयी न ही ट्विटर पर । प्रधानमंत्री के इस रवैये को भक्तगण सूचना के अधिकार का हनन बता रहे हैं। एक भक्त ने प्रतिक्रिया दी कि  मोदी ज़ी को इस बात की जानकारी जापानी अथवा मंडारिन भाषा में ही सही लेकिन ट्वीट करके देनी चाहिए थी। भक्तगण में पनपे निराशा के मद्देनज़र  प्रधानमंत्री कार्यालय से एक प्रेस विज्ञप्ति निर्गत की गयी। उसमें ये सफाई दी गई कि दरअसल इस कार्यक्रम में वक्ता और श्रोता कुल मिलाकर एक ही व्यक्ति था तो ऐसे में हूटिंग करने, 'हर-हर' वाले नारे लगाने या चाय बांटने की कोई जरुरत नहीं थी। इसलिए भक्तों को बेवजह परेशान नहीं किया गया। खैर भक्तों की जबरदस्त मांग पर मोदी जी के भाषण के सबसे प्रमुख अंश का शाब्दिक रूपांतरण कर पम्पलेट में छपवाया गया और भक्तों के बीच  वितरित किया गया। प्रस्तुत है मोदी जी का भाषण  -


                     मोदी जी 3D तकनीक के माध्यम से अपने आप को सम्बोधित करते हुए


"मित्रों मेरा मुझसे बहुत पुराना रिश्ता है। मैं बचपन से ही स्वयं मैं बनना चाहता था। इसलिए मेरे अंतर्मन का बाल नरेंद्र आज भी जिन्दा है। मेरा गुजरात से बड़ा ही दृढ़ 'बॉन्ड' रहा है। आप इतिहास उठाकर देख लो इतना मजबूत बॉन्ड रस्किन बॉन्ड , जेम्स बॉन्ड, शेन बॉन्ड, किसी भी केमिकल बॉन्ड यहाँ तक कि फेवी बॉन्ड का भी नहीं रहा है। मैंने बचपन में चाय बेची है। मगर इस बात का मुझे कोई मलाल नहीं है। मुझे तो दुःख इस बात का है कि चाय बेचते हुए मैं अपनी कोई सेल्फ़ी नहीं ले पाया। मैं इतना परिश्रमी था कि चाय बेचने के लिए चाय भी मैं खुद से ही बनाता था। चूल्हे के नजदीक रहने से दिन भर में चार बार पसीना भी बह जाया करता था। इसलिए मैं बचपन से ही स्वस्थ हूँ। अब अच्छे दिन आ गए हैं तो पसीना बहाने के लिए मैं चूल्हे के निकट तो नहीं जाता हाँ दिन भर में चार-पांच बार अपने कपड़े ही बदल लेता हूँ।  ताकि ये क्रम और अनुशासन बना रहे।


           मित्रों प्रधान सेवक होने के नाते मुझे पलभर की भी फुर्सत नहीं रहती। देखो देश के लिए जापान तक से घूमकर आ गया लेकिन मेरी दिली चाहत होने के बावजूद आजतक पूरा दिल्ली-दर्शन नहीं कर पाया। अभी हाल में ही कश्मीर में बाढ़ की विभीषिका को ऊपर से नीचे देख कर आया हूँ। एक बार तो लगा कि पुष्पक विमान से सीधे पानी में छलांग लगा कर फंसे हुए लोगों को बचा लूँ जैसे बचपन में मैंने एक मगरमच्छ के बच्चे को बचाया था। या फिर अपनी इनोवा कार लेकर उत्तराखंड में गुजरातियों को बचाने वाला रिकॉर्ड तोड़ दूँ। लेकिन मित्रों आपसे क्या छुपाना ? एक लंबे इंतज़ार के बाद अमरीका का वीसा लगा है। वहां के लोग-बाग़ ये सुनेंगे तो क्या कहेंगे ? ओबामा ने कभी ऐसा काम किया क्या जो मैं करूँ ? लेकिन फिर भी मुझे अपने लोगों के साथ हमदर्दी है। इसलिए तमाम ताम-झाम होने के बाद भी मैंने अपना जन्मदिन नहीं मनाने का फैसला किया। आशा है आप मेरा दर्द समझोगे और मुझे माफ़ कर दोगे ।"


भक्तों ने मोदी जी के इस भावपूर्ण और बुद्धिमत्ता से परिपूर्ण भाषण को पढ़कर एक जोर का "नमो"कारा  लगाया और हर-हर मोदी करते हुए मोदीजी को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं।