सोमवार, 15 दिसंबर 2014

आम आदमी कौन ?


आम आदमी इन दो शब्दों को सुनते ही जेहन में जो तस्वीर सबसे पहले उभरती है वो बेशक अरविंद केजरीवाल की है। हालांकि अरविन्द केजरीवाल की हालिया बिज़नेस क्लास में हवाई यात्रा से आम आदमी के इमेज को बहुत नुकसान हुआ है। प्रखर प्रोपेगैंडासंपन्न  पत्रकार(!) अर्नब गोस्वामी का मानना है कि 2G और CWG से जितना नुकसान इस देश को हुआ है लगभग उतना ही नुकसान केजरीवाल के बिज़नेस क्लास में सफर करने से  आम आदमी के इमेज को पहुंचा है। आम आदमी के इमेज को व्यापक नुकसान होता देख अर्नब ने आम आदमी शब्दावली को पुनर्परिभाषित करने का बीड़ा उठाया और इसके लिए एक "अखिल भारतीय इंटेलेक्चुअल अधिवेशन" बुलाया। इस अधिवेशन में देश के विभिन्न क्षेत्रों की नामचीन हस्तियों ने हिस्सा लिया।
अधिवेशन आरम्भ होते ही अर्नब ने एक आरंभिक सवाल उठाया " हू इज़ एन आम आदमी, व्हाट्स द डेफिनिशन ऑफ आम आदमी ? द नेशन वांट्स टू नो !!" अर्नब के इस सवाल पर आगत बुद्धिजीवियों ने जमकर मगज़मारी की और कुछ मूलभूत तथ्य सामने रखे गए जिसके आधार पर आम आदमी की बेसिक परिभाषा और प्रथम दृष्टया पहचान तय की गयी। उनमें से कुछ मुख्य तथ्य इस प्रकार हैं -
1. जो व्यक्ति हर सुबह अपने प्रथम निश्चित गंतव्य पर पहुंचकर अपने उदर (पेट) का हित साधने के लिए कमोड का इस्तेमाल न कर भारतीय शौचनीय आसन का ही अभ्यास करे।
2.  जो व्यक्ति नहाने के लिए लाइफबॉय और डेटॉल जैसे साबुन ही यूज़ करे, वो भी अल्टेरनेट डे और नहाने के बाद अपना बदन पोंछने के लिए गमछे का इस्तेमाल करे, टॉवेल का नहीं।
3. जो व्यक्ति खाना स्वादानुसार नहीं खाकर औकातानुसार ही खाए। मसलन वह पुलाव, बिरयानी इत्यादि खाने के लिए दो-चार महीने सोचे, फिर खाने का साहस करे और खाने के बाद कम्पेन्सेट करने के लिए 3-4 दिन बाद तक खाना न खाए। फ्रूट्स के नाम पर केला और  ड्राई फ्रूट्स के नाम पर बस मूंगफली अफोर्ड कर सके। हाजमोला और विक्स की गोली भी बतौर टॉफ़ी खाए। 

4.  जो व्यक्ति अपने जीवनकाल का एक चौथाई उम्र IRCTC की वेबसाइट से टिकट करने में तथा बाकी बचे उम्र का आधा हिस्सा रेलयात्रा में हुई देरी से उत्पन्न असुविधा का लुत्फ़ उठाने में काट दे।

5. जो व्यक्ति अपने लाइफटाइम में सरकारी महकमों के चक्कर लगाने में एकाध दर्जन जूते-चप्पल घिस दे और अपनी कमाई का एक तिहाई रिश्वत के रूप में हवन कर दे


6. जो व्यक्ति आसाराम, रामपाल, आशुतोष महाराज, राम रहीम इत्यादि जैसे असंख्य बाबाओं (मुस्लिम हो तो ओवैसी, बुखारी जैसे धर्मपरायण मौलवियों) में कम-से-कम एक का हार्डकोर भक्त हो और उनपर अपना सर्वस्व लुटाने को सदैव तत्पर रहे।

7. जो व्यक्ति BPL (Below Poverty Line) के अंतर्गत आता हो वो हर दिन APL (Above Poverty Line) सूची में शिफ्ट होने के सपने देखे और जो व्यक्ति APL के अंतर्गत आता हो वो पूरी शिद्दत से BPL सूची में अपना नाम डलवाने की कोशिश करता हो।

8. व्यक्ति यदि निरक्षर भट्टाचार्य हो तो वह जाति-धर्म इत्यादि के आधार पर और थोड़ा-बहुत पढ़ा-लिखा हो तो नेताओं के लम्बे-चौड़े भाषण पर यकीन कर तुलनात्मक दृष्टि से सबसे बड़े लफ़्फ़ाज़ को वोट दे।


   इस तरह "आम आदमी" को नये सिरे से परिभाषित करने के बाद इस अधिवेशन का समापन हुआ।  इस अधिवेशन के सफल होने के बाद देश के कुछ गणमान्य लोगों ने आम आदमी को बधाई देते हुए ट्वीट किये।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने ट्वीटा "मित्रों मैं भी बचपन से ही आम आदमी बनना चाहता था। आपलोग मुझे आम प्रधानमंत्री ही समझें। भाइयों-बहनों मैं "आम" और "आदमी" दोनों का विकास कर उन्हें स्मार्ट बनाने का संकल्प ट्वीटता हूँ।"  
  "अन्य" न्यूज़ के संवाददाता को अभिनेता सलमान खान ने बाइट दी "आम आदमी सोता हुआ शेर है, कोई कितने भी नशे में हो उसके ऊपर गाड़ी  नहीं चढ़ा सकता।"
 वहीँ किंग खान ने कहा " Don't underestimate the fairness of a Common Man.  आम आदमी भी अब आम फेयरनेस क्रीम लगाएगा।"
राहुल गांधी ने बयान दिया  " भई 'आम आदमी कौन है' इस पचड़े में हमें नहीं पड़ना, हमने तो बस उन्हें एमपॉवर करना है".
 बीजेपी नेता और सरकार में मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने टिप्पणी की "आम आदमी हो या अमरूद आदमी, अरुण जेटली जी किसी के बाप के नौकर नहीं हैं।"
  लालू यादव का कहना है कि " कऊन फुद्दू आम आदमी के परभाषा बनाया ? हमरे 'MY' समीकरण के सामने सब डेफनीशन फैल है।"


वहीँ देश के आम आदमियों  में  हर्ष की लहर दौड़ गयी है। उनका ऐसा मानना है कि अर्नब के कुशल प्रयासों से उनकी "घर वापसी" हुई है।  
  

           
       
       





       
   
        

बुधवार, 12 नवंबर 2014

अथ महाराष्ट्र कथा

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घोषणा चुनाव की होते ही व्यापक स्वच्छ्ता अभियान चला
विरोधी दलों का कूड़ा-कचरा बीजेपी में आकर घुला-मिला

आजानबाहु ऊँची करके वे बोले थे वोट मुझे देना
इसके बदले में भ्रष्टाचार-मुक्त महाराष्ट्र तुम मुझसे लेना

लगा सभा में नमोकारा जबां मुख में ना समाते थे
स्वर हर-हर के नारों के घर-घर तक छाये जाते थे

हम देंगे-देंगे वोट तुम्हें शब्द बस यही सुनाई देते थे
 रैली में जाने को युवक खड़े तैयार दिखाई देते थे

बोले युगपुरुष इस तरह नहीं बातों से मतलब सरता है
"नेचुरल करप्ट पार्टी" है ये हम छाती ठोक के कहता है

हुए चुनाव, परिणाम आया, साहेब ने बहुमत नहीं पाया
फिर भी शत कोटि रुपये खर्चे, देवू को शपथ दिलवाया

शिवसेना ननदरूसन पर और शरद भी ढलान पर था
सत्ता जाने के डर से बिस्खोपड़ा शाह परेशान-सा था

हिंदुत्व के ठेकेदारों का असली चेहरा बाहर आया
सत्ता मंत्रीपद ही सब कुछ, बाकी सब है मोह-माया

"मनसे" भी मौन-सा था एकाकी हो निहार रहा
अपने अंहकार का खुद राज हुआ शिकार रहा  

तब बंद "घड़ी" की टिक-टिक सहसा कानों में बजती है
ये महाराष्ट्र है "चार काम" थ्योरी यहाँ चल सकती है

ओवैसी से भी डील हुई कटु वचन भी उसके भूल गए
केवल सत्तासुख पाने को उसकी बाँहों में झूल गए

दिल्ली में दिखलायी नैतिकता महाराष्ट्र में कहाँ गयी
जनता तो वहां भी ठगी गयी जनता ही ठगी यहाँ गयी




   


 


   

शनिवार, 8 नवंबर 2014

सचमुच अब गोविन्द ना आएंगे ?

"कहाँ करुणानिधि केशव सोये।
जागत नेक न जदपि बहु बिधि भारतवासी रोए।"

सदियों से जुल्म की चक्की में पिस रहे  देशवासियों की असह्य वेदना से मर्माहत होकर कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र ने कोई डेढ़ सौ साल पहले उक्त पंक्तियाँ लिखी थी। तब भारतवासी ब्रिटिश दासता के अंध तमस में जीवनयापन करने के लिए विवश थे। कवि ने इन पंक्तियों के माध्यम से श्रीकृष्ण से सवालिया लहजे में ये अनुनय किया है "कि हे केशव भारत की दुर्दशा और भारतवासियों के करुण-क्रंदन को अनदेखा-अनसुना कर आप कहाँ सो रहे हो ?"
      अब ये स्पष्ट कर दूँ कि भारतेंदु की इन पंक्तियों का जिक्र मैंने क्यों किया ? विगत कुछ दिनों में सोशल मीडिया पर "सुनो द्रौपदी शस्त्र उठा लो अब गोविन्द न आएंगे" शीर्षक कविता  खूब वायरल हुई है। निश्चित तौर पर यह कविता महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को रेखांकित करती है तथापि उन्हें सबला बनने को प्रेरित करती है। मुझे नहीं पता ये कविता किसने लिखी है लेकिन इसका निचोड़ लगभग वही है जो कविवर भारतेंदु की उक्त पंक्तियों की है। बल्कि ये कविता तुलनात्मक दृष्टि से कुछ अधिक निराशावादी प्रतीत होती है।  मैं इस कविता के विषय पर चर्चा करने नहीं जा रहा , बस इस वाक्यांश "अब गोविन्द न आएंगे" के द्वारा श्रीकृष्ण पर लगाये गए आरोप का बचाव करूँगा। ऐसा इसलिए नहीं कि मैं कोई ज्ञानी या ज्ञानाभिमानी हूँ, न ही मैं उनका कोई बहुत बड़ा भक्त हूँ। बस इतना समझ लीजिये कि उनके  कॉपीराइट नाम "केशव" का मैं एक पायरेटेड यूजर होने के नाते (अपनी मंदमति के साथ) इस बचाव-अभियान में कूदने का दुस्साहस कर रहा हूँ।
         आइये सर्वप्रथम श्री कृष्ण द्वारा की गयी कुछ महत्वपूर्ण लीलाओं को मीडिया, बुद्धिजीवी टिप्पणीकारों, राजनीतिज्ञों तथा फेसबुकिया-ट्वीटकर्मी नेटवीरों के चश्मे से आज के परिप्रेक्ष्य में देखते हुए चलते हैं। अंत में अपन समीक्षा करेंगे कि सचमुच अब गोविन्द ना आएंगे ?

ब्रेकिंग न्यूज़ - कंस द्वारा अपने सात भाइयों की निर्मम हत्या कराने के बाद कृष्ण ने जन्म लिया। जन्म के तुरंत बाद कंस को चकमा देकर जेल से फरार। माँ-बाप को जेल में ही छोड़ा। 

टिप्पणी - अरे कृष्ण तो जन्मजात भगोड़ा निकला। ये पाखंडी है.…जो अपने भाइयों और माँ-बाप का नहीं हुआ वो हमारा क्या कल्याण करेगा ?     


ब्रेकिंग न्यूज़ - कन्हैया ने ब्रज में देवराज इंद्र के खिलाफ दिया भड़काऊ भाषण। ब्रजवासियों को इंद्र की पूजा करने से रोका। उसके बहकावे में आकर ब्रजवासी कर रहे हैं गोवर्धन पर्वत की पूजा। 

टिप्पणी- ये कन्हैया धर्मविरोधी है, सिकुलर है। ये हमारे सुरनायक इंद्र का विरोध कर रहा है। हमारा हिंदुत्व खतरे में है। हिन्दू भाइयों इस गद्दार के खिलाफ एकजुट हो जाओ। 


ब्रेकिंग न्यूज़ - कृष्ण ब्रज में गोपियों के साथ रास रचाकर उन्हें अपने प्रेमजाल में फंसा रहे हैं।

टिप्पणी - ये कृष्ण तो लव जिहाद फैला रहा है। गोपियाँ उसे गाय चराता और बांसुरी बजाता देख उसपर सम्मोहित हो जाती हैं। ये हमारी संस्कृति के खिलाफ है। 


ब्रेकिंग न्यूज़ - कृष्ण गोकुल छोड़कर मथुरा आये। अपने मामा कंस का वध किया। अपने माता-पिता को जेल से छुड़ाया। खुद राजा नहीं बनकर कंस के पिता को मथुरा की राजगद्दी पर बैठाया। 

टिप्पणी - हम तो वर्षों से कह रहे हैं ये भगोड़ा है। अब गोकुल से भाग गया। फिर गद्दी छोड़कर भागा। जो अपने मामा का नहीं हुआ वो और किसी का क्या होगा ? माँ-बाप को तो इसने मजबूरी में छुड़ाया। 
"ऐसा कोई सगा नहीं, जिसे कृष्ण ने ठगा नहीं"   

ब्रेकिंग न्यूज़ - जरासंध की सेना को मारकर कृष्ण ने जरासंध को जीवित छोड़ दिया ! इसके  पीछे क्या राज है ?

टिप्पणी - राज क्या ! ये कृष्ण जरासंध की ही बी-टीम है। 

ब्रेकिंग न्यूज़ - जरासंध और कालयवन के भय से कृष्ण युद्ध के मध्य से मैदान छोड़कर भागे। 

टिप्पणी - ये रणछोड़ दास तो घोषित भगोड़ा है। मगध के शेर की दहाड़ से कायर कृष्ण गीदड़ की तरह दुम दबाकर भागा। कृष्णटार्ड्स को ऐसे भगोड़े की पूजा करते हुए शर्म आनी चाहिए। 


ब्रेकिंग न्यूज़ - कृष्ण ने द्वारका नामक राज्य बसाया और स्वयं इस साम्राज्य के राजा बने। 

टिप्पणी - हमें पहले से पता था कि ये कृष्ण सत्तालोलुप है। गिरगिट भी इतने रंग नहीं बदलता जितने ये बदलता है। मगर आश्चर्य की बात ये है कि इसके पास इतना पैसा आया कहाँ से ? 


ब्रेकिंग न्यूज़ -  कृष्ण ने रुक्मिणी को उसके घर से भगाकर उसके साथ व्याह रचाया। 

टिप्पणी - ये रुक्मिणी भी कुल्टा रही होगी ! तभी इस भगोड़े के साथ उसने भागकर शादी कर ली। 


ब्रेकिंग न्यूज़ - शिशुपाल ने कृष्ण को गाली दी।  कृष्ण ने उसका वध किया। 

टिप्पणी - इस कृष्ण का कानून-व्यवस्था में विश्वास नहीं है। शिशुपाल ने बस गाली ही तो दी, इसे मानहानि का मुकदमा दायर करना चाहिए था। इससे जनता में क्या सन्देश जाएगा ? बड़ा आया इन्साफ करने वाला हुंह। 

ब्रेकिंग न्यूज़ - कृष्ण ने द्रौपदी का चीरहरण होने से बचाया। 

टिप्पणी - ये वहां महिला सुरक्षा के नाम पर अपना प्रभुत्व चमकाने और राजनीति करने गया था। एकबार जब पांडव  द्यूतक्रीड़ा (जुए) में द्रौपदी को हार चुके थे तो नियमानुसार कृष्ण को उसे नहीं बचाना चाहिए था। इसने नियम-क़ानून की धज्जियाँ उड़ाईं हैं। अनार्किस्ट है ये कृष्ण। एक नंबर का ड्रामेबाज़ है। 


ब्रेकिंग न्यूज़ - दुर्योधन के यहाँ छप्पन प्रकार के राजभोग को ठुकराकर कृष्ण ने विदुर के घर साग-रोटी खायी। 

टिप्पणी - ये कृष्ण वामपंथी है। इसने हस्तिनापुर के युवराज का अपमान कर राज्यविरोधी काम किया है। ये नटवरनागर पक्का नक्सली है। 

ब्रेकिंग न्यूज़ - कृष्ण शांतिदूत बनकर हस्तिनापुर आये। पांडवों को पांच गांव देने की मांग की, दुर्योधन ने उन्हें बंदी बनाया। कृष्ण ने की महाभारत आरम्भ करने की घोषणा। 

टिप्पणी - ठीक किया दुर्योधन ने। इस माओवादी, राज्यविरोधी के साथ ऐसा ही होना चाहिए। ये अखंड हस्तिनापुर साम्राज्य को टुकड़ों में बांटना चाहता है। ये जम्बूद्वीप की परिधि से बाहर के किसी साम्राज्य का एजेंट है जो यहाँ अशांति, अराजकता और अस्थिरता फैलाना चाहता है। 

ब्रेकिंग न्यूज़  महाभारत की शुरुआत से पहले कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया। 

टिप्पणी - अरे ये गीता तो वही किताब है जो हमारे राष्ट्राध्यक्ष दूसरे देशों के राष्ट्राध्यक्षों को उपहार स्वरुप देते हैं। ये कृष्ण ने माखन-मिसरी और गोपियों की अंगिया चुराते-चुराते पूरी की पूरी किताब भी चुरा ली और ज्ञान झाड़ रहा है। क्रांतिकारी बहुत ही क्रांतिकारी। 

कहते हैं "हरि अनंत हरि कथा अनंता" मगर मेरे हिसाब से इतने उदहारण पर्याप्त होंगे आप सबों के समझने के लिए कि अब गोविन्द को आना चाहिए या नहीं आना चाहिए ? क्या हमने उनके आगमन के लिए कोई स्कोप छोड़ा है ? वो हमारे भले के लिए अपना मान-मर्दन क्यों कराएं ? 
हमारे निर्झर कुटिल कुतर्कों तथा बेबुनियाद जटिल सवालों के झंझावात का सामना कोई गोविन्द चाहकर भी नहीं करना चाहे। ये तो स्थिति है भाई साब। 
बहरहाल हम फिर भी खुशकिस्मत हैं कि आज भी अखबारों से छपे-छिपे कई सारे "गोविन्द" हमारे बीच उपलब्ध हैं और यथासंभव देश-समाज की सूरत बदलने में लगे-भिड़े हैं। आइये ऐसे "गोविन्द" को परखें-पहचानें, उनका सम्मान करना सीखें और इस सड़ांध व्यवस्था के उन्नयन-परिवर्तन में अपना न्यूनतम योगदान सुनिश्चित करें। 


नोट - इस आलेख का  उद्देश्य किसी व्यक्ति या समुदाय की धार्मिक भावना को आहत करना कतई नहीं है। फिर भी पठनोपरांत अगर किसी की धार्मिक भावना आहत हुई अथवा होती है तो मैं उससे क्षमा चाहता हूँ तथापि गोविन्द से उसे सद्बुद्धि प्रदान करने की प्रार्थना करता हूँ।             




















       

        
                  

मंगलवार, 7 अक्तूबर 2014

‘विकास’पथ ! ‘विकास’पथ ! ‘विकास’पथ !

अम्बानी संग हो खड़े
अडानी बाजू में पड़े
सारे मिलके देश को
लगा चपत! लगा चपत! लगा चपत!
‘विकास’पथ! ‘विकास’पथ! ‘विकास’पथ!
 कविता यह कविता इस आगामी फिल्म का सुपरहिट गीत होगी।  
तू न सुनेगा कभी
तू न सुधरेगा कभी
चाहे ‘कैग'(CAG) लाख तुझे
दे डपट! दे डपट! दे डपट!
‘विकास’पथ! ‘विकास’पथ! ‘विकास’पथ!
चीन-पाक छेड़ रहे
हमपे आँख तरेड़ रहे
तू तो साड़ी-शॉल में
है मस्त! है मस्त! है मस्त!
‘विकास’पथ! ‘विकास’पथ! ‘विकास’पथ!
तेरे अच्छे दिवस के
टमाटर-चीनी-गैस के
दाम में रोज़ हो रही
है बढ़त! है बढ़त! है बढ़त!
‘विकास’पथ! ‘विकास’पथ! ‘विकास’पथ!
काले धन पे पलट गए
वाड्रा तो दामाद भये
बस एफडीआई-पीपीपी में तू
है व्यस्त! है व्यस्त! है व्यस्त!
‘विकास’पथ! ‘विकास’पथ! ‘विकास’पथ!
पहले तू नमो था
अब हुआ ‘मौन’ है
बरनौल ढूंढते फिर रहे
तेरे भगत! तेरे भगत! तेरे भगत!
‘विकास’पथ! ‘विकास’पथ! ‘विकास’पथ!
(हरिवंश राय बच्चन जी से क्षमा-याचना सहित)

मंगलवार, 16 सितंबर 2014

सम्बोधन के साथ मेरे प्रयोग - नरेंद्र मोदी

भाषण और संबोधन को अपने नाम से विस्थापित कर इनके पर्यायवाची बन चुके नरेंद्र मोदी जी ने अपने जन्मदिवस की पूर्व संध्या पर आज "अपने आप" को 3D तकनीक के माध्यम से सम्बोधित किया।  गौरतलब है कि  इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की जानकारी न तो अख़बारों में विज्ञापन के द्वारा दी गयी न ही ट्विटर पर । प्रधानमंत्री के इस रवैये को भक्तगण सूचना के अधिकार का हनन बता रहे हैं। एक भक्त ने प्रतिक्रिया दी कि  मोदी ज़ी को इस बात की जानकारी जापानी अथवा मंडारिन भाषा में ही सही लेकिन ट्वीट करके देनी चाहिए थी। भक्तगण में पनपे निराशा के मद्देनज़र  प्रधानमंत्री कार्यालय से एक प्रेस विज्ञप्ति निर्गत की गयी। उसमें ये सफाई दी गई कि दरअसल इस कार्यक्रम में वक्ता और श्रोता कुल मिलाकर एक ही व्यक्ति था तो ऐसे में हूटिंग करने, 'हर-हर' वाले नारे लगाने या चाय बांटने की कोई जरुरत नहीं थी। इसलिए भक्तों को बेवजह परेशान नहीं किया गया। खैर भक्तों की जबरदस्त मांग पर मोदी जी के भाषण के सबसे प्रमुख अंश का शाब्दिक रूपांतरण कर पम्पलेट में छपवाया गया और भक्तों के बीच  वितरित किया गया। प्रस्तुत है मोदी जी का भाषण  -


                     मोदी जी 3D तकनीक के माध्यम से अपने आप को सम्बोधित करते हुए


"मित्रों मेरा मुझसे बहुत पुराना रिश्ता है। मैं बचपन से ही स्वयं मैं बनना चाहता था। इसलिए मेरे अंतर्मन का बाल नरेंद्र आज भी जिन्दा है। मेरा गुजरात से बड़ा ही दृढ़ 'बॉन्ड' रहा है। आप इतिहास उठाकर देख लो इतना मजबूत बॉन्ड रस्किन बॉन्ड , जेम्स बॉन्ड, शेन बॉन्ड, किसी भी केमिकल बॉन्ड यहाँ तक कि फेवी बॉन्ड का भी नहीं रहा है। मैंने बचपन में चाय बेची है। मगर इस बात का मुझे कोई मलाल नहीं है। मुझे तो दुःख इस बात का है कि चाय बेचते हुए मैं अपनी कोई सेल्फ़ी नहीं ले पाया। मैं इतना परिश्रमी था कि चाय बेचने के लिए चाय भी मैं खुद से ही बनाता था। चूल्हे के नजदीक रहने से दिन भर में चार बार पसीना भी बह जाया करता था। इसलिए मैं बचपन से ही स्वस्थ हूँ। अब अच्छे दिन आ गए हैं तो पसीना बहाने के लिए मैं चूल्हे के निकट तो नहीं जाता हाँ दिन भर में चार-पांच बार अपने कपड़े ही बदल लेता हूँ।  ताकि ये क्रम और अनुशासन बना रहे।


           मित्रों प्रधान सेवक होने के नाते मुझे पलभर की भी फुर्सत नहीं रहती। देखो देश के लिए जापान तक से घूमकर आ गया लेकिन मेरी दिली चाहत होने के बावजूद आजतक पूरा दिल्ली-दर्शन नहीं कर पाया। अभी हाल में ही कश्मीर में बाढ़ की विभीषिका को ऊपर से नीचे देख कर आया हूँ। एक बार तो लगा कि पुष्पक विमान से सीधे पानी में छलांग लगा कर फंसे हुए लोगों को बचा लूँ जैसे बचपन में मैंने एक मगरमच्छ के बच्चे को बचाया था। या फिर अपनी इनोवा कार लेकर उत्तराखंड में गुजरातियों को बचाने वाला रिकॉर्ड तोड़ दूँ। लेकिन मित्रों आपसे क्या छुपाना ? एक लंबे इंतज़ार के बाद अमरीका का वीसा लगा है। वहां के लोग-बाग़ ये सुनेंगे तो क्या कहेंगे ? ओबामा ने कभी ऐसा काम किया क्या जो मैं करूँ ? लेकिन फिर भी मुझे अपने लोगों के साथ हमदर्दी है। इसलिए तमाम ताम-झाम होने के बाद भी मैंने अपना जन्मदिन नहीं मनाने का फैसला किया। आशा है आप मेरा दर्द समझोगे और मुझे माफ़ कर दोगे ।"


भक्तों ने मोदी जी के इस भावपूर्ण और बुद्धिमत्ता से परिपूर्ण भाषण को पढ़कर एक जोर का "नमो"कारा  लगाया और हर-हर मोदी करते हुए मोदीजी को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। 
      

गुरुवार, 14 अगस्त 2014

साहेब-हर्ष संवाद

प्रधानमंत्री बनने के बाद से देश के विभिन्न राज्यों में फीता काटने तथा अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के उद्देश्य से अनवरत यात्राओं तथा हाल के 'नेपाल-भूटान', ब्राजील, जर्मनी इत्यादि की थकाऊ-पकाऊ दौरे से बोर होकर मोदी जी एक दिन लगभग खानाबदोश-सा फीलिंग लिए अपने आवास में आराम फरमा रहे थे। आप तो जानते ही हैं कि खाली दिमाग में कौन वास करता है सो साहेब के मन में कुछ करने की सूझी। अब साहेब कुछ करने की सोचें और वो तूफानी न हो, ऐसा कैसे हो सकता है ! पहले से ही असंख्य फोटो-सेशन से ऊब चुके साहेब के मन में सहसा एक आईडिया (बिड़ला वाली नहीं) रुपी बिजली (रिलायंस पावर या अडानी ग्रुप वाली नहीं) कौंधी कि क्यों न अपने सिपहसालारों की एक दरबार  बुलाई जाये। इससे उनका मन भी कुछ बहल जाएगा और साहेबगीरी का रौब झाड़ेंगे सो अलग ! ऊपर से साहेब ने अपने 'येल-रिटर्न' मंत्री की विद्वता के खूब चर्चे भी सुन रखे थे, इसलिए वे यह दरबार लगाने को और अधिक उत्सुक हो उठे। लेकिन ये सोचकर कि दरबार में "चर्चा का विषय" क्या हो, साहेब थोड़ा ठिठके और कुछ देर तक सोचने लगे। चूँकि हाल में ही वो पशुपतिनाथ मंदिर में दिल खोलकर दान और पूजा कर आये थे तो अभी तक धार्मिक-दार्शनिक मोड में ही थे | इसलिए उन्होंने तय किया कि कुछ यक्ष-युधिष्ठिर टाइप संवाद कर लेंगे। वैसे भी बालपन से ही दबंग रहे साहेब ने एक बार जो कमिटमेंट कर लिया कि दरबार लगेगा तो फिर साहेब अपनी भी नहीं सुनते, "चर्चा के विषय" की क्या औकात जो उन्हें ऐसा करने से रोक ले !
अतः दरबार जैसा हुआ करता है वैसा ही लगाया गया। अब साहेब को स्टेज पर चढ़कर बोलने की लत लग चुकी थी इसलिए दरबार जहाँ लगायी जानी थी उस जगह के हिसाब से एक स्टेज तैयार किया गया। मंत्रियों को तलब किया गया। मंत्रीगण हाजिर हुए | तत्पश्चात डिज़ाइनर परिधानों से आपादमस्तक सुसज्जित साहेब पधारे तथा मंचासीन हुए। मंत्रियों ने एक जोर का नमोकारा लगाया  और अपने-अपने स्थान पर बैठ गए| साहेब ने अपने करकमलों में कुछ कागजात पकड़ रखे थे। उन कागज़ों में कुछ और नहीं वही प्रश्न अंकित थे जो कभी यक्ष ने युधिष्ठिर से किये थे। विदित हो कि साहेब खुद टेकी-नेटीजन हैं इसलिए इन प्रश्नों को वो स्वयं ही इंटरनेट से चेंप लाये थे, किसी पुदीनानाथ खतरा की मदद नहीं ली। आखिरकार दरबार शुरू हुआ। सबसे आगे की पंक्ति में मटर  जैसी डील-डॉल वाले हर्षवर्धन जी विराजमान थे | साहेब "सेक्स-एजुकेशन" पर हर्षवर्धन जी के प्रवचन से तो पहले से ही प्रभावित थे सो उन्होंने महामेधाशाली डाक साब से ही यक्ष-प्रश्न करने का सिलसिला शुरू किया।

प्रस्तुत हैं उस नमो-हर्ष संवाद के कुछ अंश ::      

साहेब- मनुष्य का साथ कौन देता है ?
हर्ष (थोड़ा झिझकते हुए) – जीवनसाथी
(साहेब की मनोदशा का अंदाज़ा आप लगा सकते हैं)

साहेब - यशलाभ का एकमात्र उपाय क्या है ?
हर्ष (तपाक से) - फोटोशॉप लघु उद्योग
साहेब - हा हा सत्य वचन जिन लोगों को नहीं पता  वो पहले इस्तेमाल करें, फिर विश्वास करें


साहेब - विदेश जानेवाले का साथी कौन होता है ?
हर्ष (कुछ देर सोचने के बाद) – ट्रांसलेटर
साहेब - यू आर सो इंटेलीजेंट !

साहेब - हवा से तेज कौन चलता है ?
हर्ष (थोड़ा डरते हुए) - सच कहूँ तो आपकी जुबान
साहेब - आय टेक माय कॉम्प्लीमेंट बैक

साहेब  - अच्छा बताओ किस चीज़ के खो जाने पर दुःख नहीं होता ?
हर्ष (कॉंफिडेंट होकर) – एजेंडाजैसे अपना राम मंदिर वाला या फिर दिल्ली में 70 मैनिफेस्टो वाला
साहेबहम्म्म .

साहेब - ब्राह्मण होना किस बात पर निर्भर है ? जन्म पर, विद्या पर या शीतल स्वभाव पर ?
हर्ष (थोड़ा झुंझलाकर ) -  इनमें से कोई नहीं। सुब्रमनियन स्वामी अपने अंदर  की तमाम वेस्टेड अथॉरिटी के आधार पर जिसे ब्राह्मण होने का सर्टिफिकेट देंगे , केवल वही ब्राह्मण होगा।
साहेब - सचमुच। मैं बचपन से ही ब्राह्मण बनना चाहता था ! स्वामी जी ने मुझे ऐसे ही ब्राह्मण घोषित किया। 

साहेब - अच्छा ये बताओ सर्वोत्तम लाभ क्या है ?
हर्ष - उस कुर्सी पर आसीन होना जिसपर आप विराजमान हैं
(साहेब मन में यस्स बी कैन’.)

साहेब - धर्म से बढ़कर संसार में और क्या है ?
हर्ष - संघ.. हाँ वही... बन्दे हैं हम जिसके, हमपे जिसका जोर
साहेबहम्म्म .


साहेब - कैसे व्यक्ति के साथ की गयी मित्रता पुरानी नहीं पड़ती ?
हर्ष (धीमे स्वर में) - अम्बानी-अडानी जैसे। ऐसी मित्रता चुनाव के साथ भी और चुनाव के बाद भी बदस्तूर चलती है।
साहेबश्श्श्श्श्श्श्श्श….

    
साहेब - जगत में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है?
हर्ष - उल्लू बनाविंग;  हम हर चुनाव में देश की जनता को उल्लू बनाते हैं कि विकास होगा.. विकास होगा विकास होगा और हर चुनाव में जनता इसे सीरियसली लेकर हमें ही वोट देती है। इससे बड़ा आश्चर्य और क्या हो सकता है ?
साहेब - हे हे लोलवा !


साहेब - जल से पतला क्या है ?
हर्ष- अच्छे दिनों के आगमन की उम्मीद
(साहेब मन में :: ये मटरू मरवाएगा)

साहेब - कौन भूमि से भारी है ?
हर्ष - निस्संदेह रूप से हमारे गडकरी जी
तभी साहेब ने एक जोरदार ठहाका लगाया और दरबार समाप्त करने की घोषणा की।