सोमवार, 15 दिसंबर 2014

आम आदमी कौन ?


आम आदमी इन दो शब्दों को सुनते ही जेहन में जो तस्वीर सबसे पहले उभरती है वो बेशक अरविंद केजरीवाल की है। हालांकि अरविन्द केजरीवाल की हालिया बिज़नेस क्लास में हवाई यात्रा से आम आदमी के इमेज को बहुत नुकसान हुआ है। प्रखर प्रोपेगैंडासंपन्न  पत्रकार(!) अर्नब गोस्वामी का मानना है कि 2G और CWG से जितना नुकसान इस देश को हुआ है लगभग उतना ही नुकसान केजरीवाल के बिज़नेस क्लास में सफर करने से  आम आदमी के इमेज को पहुंचा है। आम आदमी के इमेज को व्यापक नुकसान होता देख अर्नब ने आम आदमी शब्दावली को पुनर्परिभाषित करने का बीड़ा उठाया और इसके लिए एक "अखिल भारतीय इंटेलेक्चुअल अधिवेशन" बुलाया। इस अधिवेशन में देश के विभिन्न क्षेत्रों की नामचीन हस्तियों ने हिस्सा लिया।
अधिवेशन आरम्भ होते ही अर्नब ने एक आरंभिक सवाल उठाया " हू इज़ एन आम आदमी, व्हाट्स द डेफिनिशन ऑफ आम आदमी ? द नेशन वांट्स टू नो !!" अर्नब के इस सवाल पर आगत बुद्धिजीवियों ने जमकर मगज़मारी की और कुछ मूलभूत तथ्य सामने रखे गए जिसके आधार पर आम आदमी की बेसिक परिभाषा और प्रथम दृष्टया पहचान तय की गयी। उनमें से कुछ मुख्य तथ्य इस प्रकार हैं -
1. जो व्यक्ति हर सुबह अपने प्रथम निश्चित गंतव्य पर पहुंचकर अपने उदर (पेट) का हित साधने के लिए कमोड का इस्तेमाल न कर भारतीय शौचनीय आसन का ही अभ्यास करे।
2.  जो व्यक्ति नहाने के लिए लाइफबॉय और डेटॉल जैसे साबुन ही यूज़ करे, वो भी अल्टेरनेट डे और नहाने के बाद अपना बदन पोंछने के लिए गमछे का इस्तेमाल करे, टॉवेल का नहीं।
3. जो व्यक्ति खाना स्वादानुसार नहीं खाकर औकातानुसार ही खाए। मसलन वह पुलाव, बिरयानी इत्यादि खाने के लिए दो-चार महीने सोचे, फिर खाने का साहस करे और खाने के बाद कम्पेन्सेट करने के लिए 3-4 दिन बाद तक खाना न खाए। फ्रूट्स के नाम पर केला और  ड्राई फ्रूट्स के नाम पर बस मूंगफली अफोर्ड कर सके। हाजमोला और विक्स की गोली भी बतौर टॉफ़ी खाए। 

4.  जो व्यक्ति अपने जीवनकाल का एक चौथाई उम्र IRCTC की वेबसाइट से टिकट करने में तथा बाकी बचे उम्र का आधा हिस्सा रेलयात्रा में हुई देरी से उत्पन्न असुविधा का लुत्फ़ उठाने में काट दे।

5. जो व्यक्ति अपने लाइफटाइम में सरकारी महकमों के चक्कर लगाने में एकाध दर्जन जूते-चप्पल घिस दे और अपनी कमाई का एक तिहाई रिश्वत के रूप में हवन कर दे


6. जो व्यक्ति आसाराम, रामपाल, आशुतोष महाराज, राम रहीम इत्यादि जैसे असंख्य बाबाओं (मुस्लिम हो तो ओवैसी, बुखारी जैसे धर्मपरायण मौलवियों) में कम-से-कम एक का हार्डकोर भक्त हो और उनपर अपना सर्वस्व लुटाने को सदैव तत्पर रहे।

7. जो व्यक्ति BPL (Below Poverty Line) के अंतर्गत आता हो वो हर दिन APL (Above Poverty Line) सूची में शिफ्ट होने के सपने देखे और जो व्यक्ति APL के अंतर्गत आता हो वो पूरी शिद्दत से BPL सूची में अपना नाम डलवाने की कोशिश करता हो।

8. व्यक्ति यदि निरक्षर भट्टाचार्य हो तो वह जाति-धर्म इत्यादि के आधार पर और थोड़ा-बहुत पढ़ा-लिखा हो तो नेताओं के लम्बे-चौड़े भाषण पर यकीन कर तुलनात्मक दृष्टि से सबसे बड़े लफ़्फ़ाज़ को वोट दे।


   इस तरह "आम आदमी" को नये सिरे से परिभाषित करने के बाद इस अधिवेशन का समापन हुआ।  इस अधिवेशन के सफल होने के बाद देश के कुछ गणमान्य लोगों ने आम आदमी को बधाई देते हुए ट्वीट किये।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने ट्वीटा "मित्रों मैं भी बचपन से ही आम आदमी बनना चाहता था। आपलोग मुझे आम प्रधानमंत्री ही समझें। भाइयों-बहनों मैं "आम" और "आदमी" दोनों का विकास कर उन्हें स्मार्ट बनाने का संकल्प ट्वीटता हूँ।"  
  "अन्य" न्यूज़ के संवाददाता को अभिनेता सलमान खान ने बाइट दी "आम आदमी सोता हुआ शेर है, कोई कितने भी नशे में हो उसके ऊपर गाड़ी  नहीं चढ़ा सकता।"
 वहीँ किंग खान ने कहा " Don't underestimate the fairness of a Common Man.  आम आदमी भी अब आम फेयरनेस क्रीम लगाएगा।"
राहुल गांधी ने बयान दिया  " भई 'आम आदमी कौन है' इस पचड़े में हमें नहीं पड़ना, हमने तो बस उन्हें एमपॉवर करना है".
 बीजेपी नेता और सरकार में मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने टिप्पणी की "आम आदमी हो या अमरूद आदमी, अरुण जेटली जी किसी के बाप के नौकर नहीं हैं।"
  लालू यादव का कहना है कि " कऊन फुद्दू आम आदमी के परभाषा बनाया ? हमरे 'MY' समीकरण के सामने सब डेफनीशन फैल है।"


वहीँ देश के आम आदमियों  में  हर्ष की लहर दौड़ गयी है। उनका ऐसा मानना है कि अर्नब के कुशल प्रयासों से उनकी "घर वापसी" हुई है।