बुधवार, 12 नवंबर 2014

अथ महाराष्ट्र कथा

                                                              अथ महाराष्ट्र कथा
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घोषणा चुनाव की होते ही व्यापक स्वच्छ्ता अभियान चला
विरोधी दलों का कूड़ा-कचरा बीजेपी में आकर घुला-मिला

आजानबाहु ऊँची करके वे बोले थे वोट मुझे देना
इसके बदले में भ्रष्टाचार-मुक्त महाराष्ट्र तुम मुझसे लेना

लगा सभा में नमोकारा जबां मुख में ना समाते थे
स्वर हर-हर के नारों के घर-घर तक छाये जाते थे

हम देंगे-देंगे वोट तुम्हें शब्द बस यही सुनाई देते थे
 रैली में जाने को युवक खड़े तैयार दिखाई देते थे

बोले युगपुरुष इस तरह नहीं बातों से मतलब सरता है
"नेचुरल करप्ट पार्टी" है ये हम छाती ठोक के कहता है

हुए चुनाव, परिणाम आया, साहेब ने बहुमत नहीं पाया
फिर भी शत कोटि रुपये खर्चे, देवू को शपथ दिलवाया

शिवसेना ननदरूसन पर और शरद भी ढलान पर था
सत्ता जाने के डर से बिस्खोपड़ा शाह परेशान-सा था

हिंदुत्व के ठेकेदारों का असली चेहरा बाहर आया
सत्ता मंत्रीपद ही सब कुछ, बाकी सब है मोह-माया

"मनसे" भी मौन-सा था एकाकी हो निहार रहा
अपने अंहकार का खुद राज हुआ शिकार रहा  

तब बंद "घड़ी" की टिक-टिक सहसा कानों में बजती है
ये महाराष्ट्र है "चार काम" थ्योरी यहाँ चल सकती है

ओवैसी से भी डील हुई कटु वचन भी उसके भूल गए
केवल सत्तासुख पाने को उसकी बाँहों में झूल गए

दिल्ली में दिखलायी नैतिकता महाराष्ट्र में कहाँ गयी
जनता तो वहां भी ठगी गयी जनता ही ठगी यहाँ गयी




   


 


   

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